हाजी नाजी के मज़ेदार किस्से - स्वयंप्रकाश

 हाजी नाजी के  मज़ेदार किस्से - स्वयंप्रकाश 

हर साल 1 जुलाई को 'इंटरनेशल जोक डे' (अंतरराष्ट्रीय चुटकुला दिवस) मनाया जाता है। इस मौके पर चकमक में प्रकाशित हाजी नाजी के कुछ किस्से हम आपसे शेयर कर रहे हैं। इन किस्सों को मशहूर कहानीकार स्वयंप्रकाश जी के द्वारा ख़ास चकमक के लिए लिखा गया था। 


चित्र - अतनु रॉय 

1. 

जज नाजी ने गवाह हाजी से पूछा, “जिस वक्त चोरी हुई उस वक्त कितने बजे थे?”

“हुजूर! दो मेरे सिर पर बजे थे और दो मेरे बेटे के सिर पर।”

गवाह हाजी ने जवाब दिया।

“मूरख! घड़ी में कितने बजे थे?” जज नाजी ने पूछा।

“घड़ी तो हुज़ूर एक में ही टूट गई थी!”


2. 

हाजी ने मिठाई की दुकान खोली और उस पर बड़ा-सा बोर्ड लगवाया। उस पर लिखा था, “हमारे यहाँ ताज़ा मिठाई मिलती है।”

नाजी आए तो उन्होंने सबसे पहले बोर्ड को देखा और बोले, “ये तुमने बहुत अच्छा किया कि कोई नाम नहीं रखा। नाम में बहुत लफड़ा है। कभी-कभी तो उसको लेकर दंगे तक हो जाते हैं। लेकिन एक बात बताओ ये ‘हमारे यहाँ’ का क्या मतलब है? अब तुम्हारे यहाँ बोर्ड लगा है तो तुम्हारे यहाँ ही हुआ न! कोई ऐसा बोर्ड तो लगाता नहीं कि ‘हमारे पड़ोसी के यहाँ ताज़ा मिठाई मिलती है’ या ‘रामस्वरूप के यहाँ सिले-सिलाए कपड़े मिलते हैं!’”

“तो क्या करें?” हाजी ने पूछा।

“‘हमारे यहाँ’ को हटवा दो।”

“हमारे यहाँ” हट गया। रह गया “ताज़ा मिठाई मिलती है।”

दो रोज़ बाद नाजी फिर आए और बोले, “भई, ये ‘ताज़ा’ से थोड़ा कन्फ्यूज़न हो रहा है। खामखाँ का शक पैदा हो रहा है। अब ऐसा तो है नहीं कि रात को सारी बची हुई मिठाई तुम फेंक देते हो और सुबह सब ताज़ा बनाते हो! कोई पूछ लेगा यही बात तो फँस जाओगे। ऐसा करो ये ‘ताज़ा’ हटवा दो।”

तो अब “ताज़ा” भी हट गया। रह गया “मिठाई मिलती है।”

दो-तीन रोज़ बाद नाजी फिर आए और बोले, “मेरे दिमाग में एक बात आई के भई मिठाई की दुकान है तो उसमें मिठाई ही तो मिलेगी! कोई मोटरसाइकिल के स्पेयर पार्ट्स तो मिलेंगे नहीं! है कि नहीं! ऐसा करो, ‘मिठाई’ मिटवा दो।”

तो “मिठाई” भी मिट गया। अब रह गया “मिलती है।”


3. 
हाजी गम्भीर रूप से बीमार थे और अस्पताल के आई सी यू में भर्ती थे।
उन्होंने अपने छोटे बेटे को बुलाया और कहा, “बेटा! अब मेरी ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं। तुम मेरे बच्चों में सबसे ज़्यादा मेहनती और ज़िम्मेदार हो। मेरे बाद चार इमली के सातों बंगले तुम ले लेना और ग्रीन सिटी के पन्द्रह फ्लैट भी मैं तुम्हें दे जाऊँगा। बल्कि मेरी तो इच्छा है कि साउथ एवेन्यू के दस फ्लैट भी तुम ही ले लो। बोलो बेटा, ले लोगे न!”
लड़का क्या बोलता? आँसू पोंछता चला गया। 
उसके जाने के बाद नर्स हाजी की पत्नी से बोली, “आपके पति आपके छोटे बेटे से कितना प्यार करते हैं! करोड़ों की ज़ायदाद अकेले उसे देकर जा रहे हैं!”
“वह करोड़ों की ज़ायदाद नहीं है!” हाजी की पत्नी ने कहा। 
“तो फिर?” नर्स ने आश्चर्य से पूछा।
“ये तो वो घर हैं जहाँ मेरे पति रोज़ सुबह दूध पहुँचाते हैं।” हाजी की पत्नी ने जवाब दिया। 


4. 
एक दिन नाजी सर का पढ़ाने का मूड नहीं था। रात को देर तक ताश खेलते रहे थे। नींद पूरी हुई नहीं थी। लेकिन स्कूल आना ज़रूरी था, सो आ तो गए थे। लेकिन पढ़ाने का बिलकुल मन नहीं हो रहा था।
नाजी सर क्लास में आए। टोपी उतारकर मेज़ पर रखी, टेबल पर पाँव पसारे और बच्चों से कहा, “चलो, निबन्ध लिखो।” 
बच्चों ने कहा, “सर, विषय तो बताइए।”
नाजी सर बोले, “ठीक है। टोपी पर निबन्ध लिखो।” 
बच्चे निबन्ध लिखने लगे।
नाजी सर सो गए और थोड़ी देर में खर्राटे भरने लगे।
कुछ देर बाद उन्हें लगा कि जैसे उन्हें कोई बाँह पकड़कर जगा रहा है। 
आँख खोलकर देखा तो पाया कि एक छोटा बच्चा हाजी सचमुच उन्हें बाँह पकड़कर जगा रहा था। 
“क्या है?” नाजी सर गुस्से से बोले। 
हाजी ने मासूमियत से पूछा, “सर, मैली-कुचैली कैसे लिखेंगे?”
 चित्र-अतनु रॉय 


5. 
नाजीलाल लाल कबाड़िया नकली नोट बनाने का काम करते थे। वे हज़ार रुपए का एक नोट रोज़ बनाते और शाम के बाद उसे धीरे-से बाज़ार में कहीं चला देते। एक दिन गलती से हज़ार रुपए की जगह नौ सौ रुपए का नोट बन गया। अब इसका क्या करें? शहरवाला तो कोई इसे लेगा नहीं! क्या किया जाए! 
नाजीलाल कबाड़िया परेशान हो गए। आखिर उन्होंने सोचा इसे किसी गाँव में चला देते हैं और गाँव भी ऐसा देखेंगे जहाँ बिजली न हो!
तो नाजीलाल कबाड़िया ऐसे ही एक गाँव में पहुँचे और वहाँ के एक सम्पन्न व्यक्ति हाजीलाल गवाड़िया के घर गए 
और बोले, “मैं ज़रा परेशानी में फँस गया हूँ। गाँव में कहीं इसके खुल्ले पैसे नहीं मिल रहे हैं। क्या आप मेहरबानी करके यह नोट तुड़ा सकेंगे?”
हाजीलाल गवाड़िया ने नाजीलाल कबाड़िया के हाथ से नौ सौ का नोट लिया उसे ध्यान से देखा और बोले, “दो मिनट ठहरो। अभी आता हूँ।” और घर के भीतर चले गए। 
नाजीलाल कबाड़िया खुश कि नौ सौ का नोट चल गया।
कुछ देर बाद हाजीलाल गवाड़िया बाहर निकले और नाजीलाल कबाड़िया को साढ़े चार-चार सौ के दो नोट पकड़ा दिए।



6. 
हज्जू भाई और नज्जू भाई दोनों एक बड़ी-सी बिल्डिंग की पाँचवीं मंज़िल पर एक कमरे में साथ-साथ रहते थे। दोनों में इतना प्यार था कि वे अबे गधे, नालायक जैसे सुन्दर शब्दों को लगाए बगैर एक-दूसरे से बात नहीं करते थे।
एक दिन नज्जू भाई जल्दी में कहीं जा रहे थे। वे पाँच मंज़िल नीचे उतर आए तब जाकर ध्यान आया कि अपना रूमाल और घड़ी ऊपर ही भूल आए हैं। बिल्डिंग में लिफ्ट थी नहीं। क्या करें? उन्होंने नीचे से ही अपने दोस्त हज्जू भाई को आवाज़ लगाई, “अबे हज्जू के बच्चे!”
“हज्जू के बच्चे” ने झाँककर पूछा, “क्या हो गया? क्यों भौंक रहा है?”
“यार मैं जल्दी-जल्दी में घड़ी और रूमाल ऊपर ही भूल आया हूँ। ज़रा फेंक दे भाई!”
हज्जू भाई ने ऊपर से घड़ी फेंकने से पहले पूछा, “झेल लेगा?”
“अबे इत्ते दिनों से तुझे झेल रहा हूँ तो एक घड़ी नहीं झेल पाऊँगा? तू बिन्दास फेंक!”
हज्जू भाई ने घड़ी फेंकी, लेकिन नज्जू भाई उसे झेल नहीं पाए और घड़ी ज़मीन पर गिरकर टुकड़े-टुकड़े हो गई। 
“ये क्या किया नालायक!” नज्जू भाई चीखे। 
“मैंने क्या किया?” हज्जू भाई मासूमियत से बोले। 
नज्जू भाई क्या कहते? गलती तो उनकी ही थी। तिलमिलाकर बोले, “अब रूमाल मत फेंक देना। मैं खुद ऊपर आकर ले लूँगा।”


7. 
सन् 2012

क्या आपके टूथपेस्ट में नमक है?

सन् 2014

क्या आपके टूथपेस्ट में नमक और नींबू है?

सन् 2016

क्या आपके टूथपेस्ट में चाट मसाला है?

सन् 2020

क्या आपके मुँह में दाँत हैं? 

न हों तो इस्तेमाल करें रेडीमेड हाजी-नाजी दाँत।


8.  

रईस उद्योगपति का बेटा नया-नया नेता बना था। एक दिन उसके जी में आई कि गाँव देखा जाए और किसी किसान से मिला जाए। उसके गाँव जाने की व्यवस्था की गई और उसके लिए एक किसान का इन्तज़ाम भी किया गया। किसान था – हाजी। 

नए-नए नेता ने हाजी से पूछा, “तुम किसान हो?”

हाजी बोला, “क्या करें मालिक!”

नेता को समझ में नहीं आया कि ये हाँ कह रहा है या ना।

नेता ने पूछा, “तुम्हारे पास कितनी ज़मीन है?”

हाजी बोला, “तीन बीघा हुज़ूर।”

“तीन बीघा यानी कितनी?” नेता ने पूछा। 

साथ आए बैंक अधिकारी ने समझाया, “सर, जो तीन बीघा है वो अनफॉर्चुनेट्ली चार बीघा से कुछ कम है, लेकिन एट द सेम टाइम फॉर्चुनेट्ली दो बीघा से पूरे एक बीघा ज़्यादा है, जो कि मैं समझता हूँ कि काफी महत्वपूर्ण बात है।” 

“तुम किस चीज़ की खेती करते हो?” नेता ने पूछा।               

“जी, कपास की।”

“व्हाट इज़ कपास?” नेता ने बैंक अधिकारी से पूछा।

“वही जिससे आपका कुरता बना है।” हाजी ने जवाब दिया। 

“ओह! तो तुम कुरते की खेती करते हो!” नेता बोला। “अच्छा तुम्हारे पास बीस्ट कितने हैं?”

“……………”

 “जानवर कितने हैं?” बैंक अधिकारी ने समझाया। 

 “दो बैल हैं हुज़ूर।” हाजी ने बताया। 

 “गुड, कितना दूध देते हैं?” नेता ने पूछा। 

हाजी बैंक अधिकारी के कान के पास मुँह ले जाकर बोला, “लगता है जान लेकर ही छोड़ेगा।”


चित्र - अतनु रॉय 







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