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साहित्य और पढ़ना सीखना के इर्द -गिर्द कुछ बातें - सुशील शुक्ल

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शिक्षा   के अधिकार के मिल जाने से अब हमारी आँखों ने इस सपने के लिए तो जगह बनानी शुरू कर दी है कि अपने देश का हर बच्चा आने वाले चार-पाँच सालों में स्कूल में प्रवेश पा सकेगा। पर हम अपने ज़्यादातर स्कूलों को बच्चों के लिए एक सुखद जगह में नहीं ढाल पाए हैं। नित नया सीखने के उत्साह से भरे बच्चे एक दिन स्कूल में प्रवेश लेने के लिए घर से निकलते हैं। उस घर से जहाँ उन्हें प्रश्न पूछने की , अपने मन का कुछ करने की , ज़िद करने की , लाड़-दुलार की , मान-मनौव्वल की सीमित ही सही , पर आज़ादी हासिल होती है। सामाजिक-आर्थिक रूप से कमज़ोर घरों में बच्चों की ज़िन्दगी इतनी सुखद भले ही नहीं होगी पर वे घर पर एक अत्यन्त सक्रिय सदस्य की भूमिका निभा रहे होते हैं। जहाँ मध्यमवर्गीय बच्चे घर के कामों का खेल खेलते हैं , वहाँ ये बच्चे सचमुच घर के कामों में हाथ बँटा रहे होते हैं। पर इन दोनों ही तरह के बच्चों को स्कूल पहुँचकर निराशा हाथ लगती है। उनके तमाम अनुभव स्कूल में किसी काम नहीं आते। स्कूल इन तमाम अनुभवों को नज़रअन्दाज़ कर , पोंछकर पढ़ाई शुरू करता नज़र आता है। अपने जीवन में भाषा से अच्छा खासा काम चला रहे बच्चे को - अ - से प

चल उड़ जा रे पंछी- जितेन्द्र भाटिया

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चल उड़ जा रे पंछी   फोटो और लेख - जितेंद्र भाटिया  गर्मियों के दिन फिर आ गए हैं! क्या तुमने ध्यान दिया है कि सर्दियों में अक्सर दिखने वाले कुछ परिचित पक्षी गर्मियों के आते ही न जाने कहाँ गुम हो जाते हैं. पूंछ थिरकने वाला ‘थिरथिरा’, तालाब के सुदूर कोनों में तैरती छोटी मुर्गाबियाँ और हवा में ऊंचे उड़ते उकाब, ये सब हमारे मैदानी इलाकों में सिर्फ सर्दियों में ही दिखाई देते हैं. अब तो तुम जान गए हो कि पक्षियों के जीवन में दो सबसे ज़रूरी क्रियाएँ हैं—भोजन, और प्रजनन! इन्हीं दोनों के लिए पक्षी उड़कर लम्बी यात्राएँ करते हैं. कुछ लोग गर्मियों के महीनों में छुट्टियाँ मनाने पहाड़ों में चले जाते हैं न? कुछ इसी तरह कई पक्षी गर्मियों में उत्तर का रुख करते हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि पक्षियों की ये यात्राएँ छुट्टी के लिए नहीं, बल्कि भोजन और प्रजनन की जिम्मेदारियां निभाने के लिए होती हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि दुनिया में पक्षियों की नौ हज़ार से अधिक प्रजातियों में से लगभग 40 प्रतिशत हर साल एक जगह से दूसरी जगह का प्रवास या प्रव्रजन ( migration) करती हैं. पक्षियों की ये यात्राएँ कई हज़ारों से