भोर का नाम बाँसुरी था- प्रभात
प्रभात हिंदी के बेहद महत्वपूर्ण कवि-लेखक हैं।
प्रस्तुत है उनकी कुछ कविताएँ जो उन्होंने ख़ास चकमक के लिए लिखीं ।
1. सुन्दर
गुड़िया भी सुंदर
बुढ़िया भी सुंदर
बुढ़िया की बेटी
सुंदर भी सुंदर
सुंदर गगन है
सुंदर समंदर
बुढ़िया का बेटा
चंदर भी सुंदर
बछिया भी सुंदर
पड़िया भी सुंदर
बुढ़िया का मुर्गा
कलंदर भी सुंदर
(नवम्बर, 2017 चकमक में प्रकाशित)
2. आ गई फसल लावनी
आ गई फसल लावनी
कड़ी धूप से तेज़ हवा से
हरी फसल में लाली
ना काटो तो झड़ जाएँगी
पकी-पकी सब डाली
आ गई फसल लावनी
आ गई फसल लावनी
फसल काटने चली खेत
ले ले हाथों में हँसिया
रूपी-धूपी मजदूरिन
गाती जाती है रसिया
आ गई फसल लावनी
आ गई फसल लावनी
बतरस ले ले काट रही है
खेत मालकिन रस्सो
चार पाँत ले सबसे आगे
है मजदूरिन जस्सो
आ गई फसल लावनी
आ गई फसल लावनी
कटे पड़े में पड़ी हुई कुछ
गेहूँ की लम्बी नड़ियाँ
सिला बीनने आईं लड़कियाँ
नभ से उतरी चिड़ियाँ
आ गई फसल लावनी
आ गई फसल लावनी
(मार्च, 2018 चकमक में प्रकाशित)
3. उबड़-खाबड़
मोर का नाम पाँखुरी था
भोर का नाम बाँसुरी था
भेड़ का नाम उर्मिला था
पेड़ का नाम रंगीला था
रेल का नाम था फूलकली
जेल का नाम था कुसुमगली
नाम फूल का आरी था
आरी का रामदुलारी था
नाम सड़क का जीभ था
दूर का नाम करीब था।
झाड़ का नाम पहाड़ी था
ऊँट का नाम कबाड़ी था
ऊबड़-खाबड़ नामों को सुन
खेत दुबककर सो गया।
देर रात तक ठीक-ठाक थे
सुबह-सुबह क्या हो गया ?
(नवम्बर, 2018 चकमक में प्रकाशित)
4. बन्दर का कुनबा
बन्दर का भाई था बन्दर
बन्दर की बहना भी बन्दर
बन्दर की चाची भी बन्दर
बन्दर की ताई भी बन्दर
बूढ़ा बन्दर बुढ़िया बन्दर
बच्चा बन्दर बच्ची बन्दर
कुनबा पता किया बन्दर का
कुनबे में सब निकले बन्दर
जिसको देखो वो ही बन्दर
कुनबे का कुनबा ही बन्दर
जब कुनबा फैला बन्दर का
फ़ैल गए बन्दर ही बन्दर
बाहर के अन्दर भी बन्दर
अन्दर के बाहर भी बन्दर
अन्दर बन्दर बाहर बन्दर
अन्दर बाहर बन्दर बन्दर
5. खेलूँ क्रिकेट
चश्मा चढ़ा लूँ
टोपी लगा लूँ
बल्ला उठा लूँ
आँखें जमा लूँ
तब मैं लगाऊँ
वो छक्का
कक्का देख के
रह जाएँ
हक्का बक्का
बैंटिंग कमाल
बॉलिंग धमाल
फिल्डिंग की दे दूँ
अब मैं मिसाल
कैच लपकूँ पक्का
ओपनर जोड़ी
करती रह जाए
नैन-मटक्का
खेलूँ क्रिकेट
झटकूँ विकेट
मैच जीता रक्खा
आखिरी जोड़ी
करती रह जाए
तक्की-तक्का।
(नवम्बर, 2019 चकमक में प्रकाशित)
6. हाथी और चींटीं
चींटी ने हाथी से
दवा की गोली मँगवाई
लाया तो बोली
हथगोले क्यों ले आया भाई?
चींटी ने हाथी से
कुछ पत्ते मँगवाए
लाया तो बोली भइया
जंगल क्यों उठा लाए।
(अक्टूबर, 2019 में प्रकाशित)
7. आग लगी है पानी में
नल के नीचे पड़े रह गए
खाली सारे घड़े रह गए
माथा ठोका नानी ने
आग लगी है पानी में
पेड़ों में सूनापन है
खेतों में खालीपन है
काम नहीं है लोगों को
बस दिन भर ठालीपन है
सिर पीटा रमजानी ने
आग लगी है पानी में
जड़ सूखेंगी पेड़ों की
ऊन उड़ेगी भेड़ों की
मार पड़ेगी घर-घर में
लू से अलग थपेड़ों की
सूखे फूल कहानी में
आग लगी है पानी में।
(जून, 2021 चकमक में प्रकशित)
चित्र - नीलेश गहलोत
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