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क्योंजी बेटा रामसहाय

क्योंजी बेटा रामसहाय  इतनी जल्दी कैसे आए अभी तो दिन के दो ही बजे हैं कहो आजकल बड़े मज़े हैं

हाथी आया गाँव में

हाथी आया गाँव में हाथी आया हाथी आया सब चिल्लाए गाँव में उपले पाथ रही थी काकी बोली देखो देखो आया हाथी काका दौड़ा दौड़ा आया अरे महावत हाथी लाया लगी बताने बूढी दादी बड़े दिनों में आया हाथी  हाथी आया गाँव में  बच्चे देख रहे थे हाथी को दूर खड़े हो छाँव में -प्रभात  इस कविता को एक बार मन में पढो| थोड़ी देर बाद जब इसके अर्थ मन में घुलने लग जाए तो इसे एक बार फिर पढो| भाव के साथ बोल कर| जैसे, अपने  किसी दोस्त को सुनाते हैं वैसे| कहते हैं कविता कुछ पढ़ कर समझ में आती है और समझने के बचे हिस्से में कुछ सुनकर समझ में आती है| इस कविता में गाँव की एक साधारण घटना है| हाथी का आना| हालाँकि यह कविता हाथी आने की घटना के बारे में नहीं है| जैसे, घर बनाने में ईंट-गारा लगता है| घर को देखो तो वह भी ईंट-गारा दिखता है| पर घर एक जगह होती है जहाँ लोग मिल-जुलकर रहते हैं| घर की मिल-जुल ऊपर से कहाँ दिखती है? इस कविता में भी ठीक यही बात है| हाथी आ जाने की घटना सिर्फ कविता का ईंट-गारा है| असल बात है कि कैसे इतने सारे लोग किसी एक घटना से जुड़े हैं| हाथी का आना जैसे गाँव की झील में उठ गई एक तरंग है ...

तुम भी लिखो

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चित्र को बड़ा करने के लिए चित्र पर क्लिक करें| रात समंदर है कितना सारा पानी इसके अन्दर है! शोभा घारे के इस चित्र को देख कर मन में कई ख्याल आते हैं| दो पंक्तियाँ हमने लिखी हैं| आप भी कुछ लिखिए| अपनी पंक्तियाँ आप नीचे कमेंट्स(comments) में छोड़ सकते हैं|

Will you?

Teach me to beat that bully who eats my sandwiches Teach me to scare the ghosts that block my way to the bathroom Teach me to help the puppy bursting with crackers tied to its tail Then I'll sit quietly and listen. And that's a promise.

Rainbow

I raise my hand to touch the sky and feel the rainbow Can you hold me in your arms? It's high up Oh no, I still can't reach it Will you get me a stool? Not that one, it's too low Yes, that's a good size Let me climb up Naah! Maybe I could get a crane to lift me or drop out of an airplane All I can touch is this little butterfly that just flew over my nose Thank God, they make little rainbows!

कुछ घड़ियाँ गैलीलियो के साथ

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घुड़सवार

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एक घड़ा और गुत्थी सौ

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मीठी चीनी

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ज़मीं को जादू आता है - गुलज़ार

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ये मेरे बाग की मिट्टी में कुछ तो है ये जादुई ज़मीं है क्या? ज़मीं को जादू आता है! अगर अमरूद बीजूँ मैं, तो ये अमरुद देती है अगर जामुन की गुठली डालूं तो जामुन भी देती है करेला तो करेला ....निम्बू तो निम्बू! अगर मैं फूल माँगू तो गुलाबी फूल देती है मैं जो रंग दूँ उसे, वो रंग देती है  ये सारे रंग क्या उसने कहीं निचे छुपा रक्खे हैं मिट्टी में? बहुत खोदा मगर कुछ भी नहीं निकला.....! ज़मीं को जादू आता है! ज़मीं को जादू आता है बड़े करतब दिखाती है  ये लम्बे-लम्बे ऊँचे ताड़ के जब पेड़, ऊँगली पर उठाती है तो गिरने भी नहीं देती! हवाएं खुद हिलाती हैं, जमीं हिलने नहीं देती! मेरे हाथों से शर्बत, दूध, पानी  कुछ गिरे सब ठीक डीक जाती है ये कितना पानी पीती है! गटक जाती है जितना दो.. इसे लोटे से दो या बाल्टी से, या नल दिन भर खुला रख दो गज़ब है, पेट भरता ही नहीं इसका  सुना है ये नदी को भी छुपा लेती है अन्दर! ज़मीं को जादू आता है! यक़ीनन जादू आता है!! -गुलज़ार